फूल मुझे पसंद नहीं, मै कांटो का दीवाना हू!
मै जलने वाली आग नहीं, जल जाने वाला परवना हु!
ख्वाब मुझे पसंद नहीं, मै हकीकत का आशियाना हु!
मै मीटने वाली हसरत नहीं, जीने वाला अफसाना हु!
मै थमने वाला वक़्त नहीं, न छु पाने वाला कीनारा हु!
मै रूकने वाली सांस नहीं, सदा दील मे धडकने वाला सहारा हु!...
नीगाहे बचाकर जो चलते है हमसे ,कभी उनको हमसे मोहोब्बत हुई थी
जो महबूब से अजनबी हो गए हैकभी उनको हमसे मोहोब्बत हुई थी...
तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है.
जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो,
तुझे अब अपने दील का हाल बताना भी मुश्किल है,
उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेकीन,
तेरी खातीर सीतारे तोड़ कर लाना भी मुश्कील है,
यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं,
कीस के दील में क्या है नज़र आना भी मुश्कील है,
तुझे जींदगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली,
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्कील है.
No comments:
Post a Comment